समंदर जिको सूखग्यो
एक समंदर हो
अठैई-कठैई,
म्हारै असवाड़ै-पसवाड़ै
सीर ही जिण में म्हारी
बो सूखग्यो ।
कितरी तीखी जागी हुवैला- तिरस !
अबै फगत
पसरी है- च्यारूं मेर-
रेत ई रेत
भुर-भुरी रेत
जिंयां हियै रो हेत ।
एकली एक नाव
जिण नै म्हैं खेया करतो हो कदैई
साथै-साथै उणरै
उमड़तै-उफणतै समंदर मांय
भरियै-भरियै डील सूं ।
अबै फगत लखाव है
नैड़ै-नैड़ै हुवण री सूनवा।द है
अर म्हैं हूं का है समंदर
जिको सूखग्यो ।
***
क्यूं कै बो जीवै है
भरियै दरबार
उण री मौत रो
करीज्यो- एलाना
डंकै री चोट
चांदी रा नगाड़ा बजा-बजा’र
फोटूवां बांट-बांट’र
पानां रा पानां रंगीज्या
मांडी- कळावंत
विगतवार उण री आफळाई ।
खफण माथै उण रै
करीजी कसीदाकारी
दुसमण ई नीं
सैण ई रळग्या साथै ।
जश्न मनाइज्या
विश्व-सुंदरियां बुलाइजी
पूंजी रै पंख लगाइज्या
बजार बणाइज्या
सोनै री मोहरां बांटीजी
नसड़ियां हिलाइजी
हमराज तांई बदळ लिया पाळा
रातो-रात ।
कांई करां किणी पारकै री बात
हताश अर पस्त हिम्मत ही सारी जमात
सुण’र मौत रो एलान
पण बै अबै लजखावणा है
क्यूं कै बो अबै ई जीवै है ।
बो जीवै है अजेस
मेहनत री सोच सांभण वाळी सांसां में
शोषण रै खिलाफ जूझै है जुद्ध में
क्यूबा रै कवियां में
चीन रै चितेरां में
वियतनाम रै धानी खेतां में
भारत रा कळावंता-बो जीवै है-
लाल चौक री चैल-पैल में
रूस रै विंटल-हॉल में
ना करजो आगै सारू ऐड़ो एलान
क्यूं कै बो अजेस जीवै है
फ्सल काटतै हंसियै में
लोह कूटतै हथोड़ै में
अर जुलम रै खिलाफ उठी लुगाई री
भींच्योड़ी मुट्ठियां में
कुरबानी रै पावड़ा में
जिंदगी रै
रूपाळै रूप सारू
एक ओ ई
टंणको मारग है
क्यूं कै बो जीवै है ।
जीवै है-
क्यूं कै बो
मेहनत माथै मंडियोड़ा
सामाजिक साम्य रो
आदू सुपनो है ।
हाथां मांय जिण रै
अमनी-पंखेरू है
इणी खातर
बो मरियो कोनी जीवै है
भळै ना करजो आगै सारू ऐड़ो एलान
क्यूं कै बो जीवै है ।
***
हिंदी कवि : सरल विसरद
काव्य संग्रै “ खामोशी के रंग, क्यों कि वह जिंदा है । कविता रै साथै साथै पत्रकारिता सूं जुड़ाव ।
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