tag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post4853790801065656676..comments2024-01-05T00:50:13.858-08:00Comments on सबद-नाद : अनिल जनविजयUnknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post-11681754831147404962011-01-07T11:55:15.778-08:002011-01-07T11:55:15.778-08:00भाई नीरज जी,
भारतीय भाषाओँ की कविताओँ का एकसाथ अनु...भाई नीरज जी,<br />भारतीय भाषाओँ की कविताओँ का एकसाथ अनुवाद का उपक्रम आज तक शायद ही किसी ने किया होगा । आपने निश्चय ही महान काम किया है ! बधाई !<br />भाई अनिल जनविजय की कविताओँ का राजस्थानी अनुवाद पढ़ कर आनँद आया । बहुत अच्छा अनुवाद किया है । आपको एवम अनिल जनविजय जी को बधाई !ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post-34200151880136583582011-01-01T23:19:59.518-08:002011-01-01T23:19:59.518-08:00नीरज जी थारो एक और....अध्भुत सिरजण....बहुत बढ़िया अ...नीरज जी थारो एक और....अध्भुत सिरजण....बहुत बढ़िया अनुवाद...मूल पढ़ी कोनी...पण लागै भी कोनी क’...पढ़ी कोनी...राजेश चड्ढ़ाhttps://www.blogger.com/profile/13615403040017262901noreply@blogger.com