tag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post96047334245611026..comments2024-01-05T00:50:13.858-08:00Comments on सबद-नाद : के. सच्चिदानंदनUnknownnoreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post-21556911681413618002011-01-01T23:45:52.800-08:002011-01-01T23:45:52.800-08:00भाई नीरज जी!
राजस्थानी में पूरे भारत की कविताएँ दे...भाई नीरज जी!<br />राजस्थानी में पूरे भारत की कविताएँ देख कर मज़ा आ गया। ये बड़ा काम है। ऐसा काम तो अभी तक हिन्दी में भी किसी एक व्यक्ति ने शुरू नहीं किया है। मुझे आपसे ईर्ष्या हो रही है। अद्भुत्त ।अनिल जनविजयhttps://www.blogger.com/profile/02273530034339823747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post-12830018455471568302010-11-20T02:52:55.870-08:002010-11-20T02:52:55.870-08:00नीरज जी....आश्चर्यजनक रूप से अध्भुत कार्य कर रहे ह...नीरज जी....आश्चर्यजनक रूप से अध्भुत कार्य कर रहे हैं आप.. साहित्य-प्रेमी, सुधि-पाठक आपका ये अहसान भूल नहीं पाएंगे...मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें.राजेश चड्ढ़ाhttps://www.blogger.com/profile/13615403040017262901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7309185813521226024.post-73017210766294856692010-11-18T08:15:35.957-08:002010-11-18T08:15:35.957-08:00भाई नीरज ,
आप रो ओ काम भी हरमेस री भांत जोरदार ई न...भाई नीरज ,<br />आप रो ओ काम भी हरमेस री भांत जोरदार ई नीं सरावणजोग भी है !<br />आप मायड़ भाषा राजस्थानी अर राजस्थानी साहित री छिब बिस्तारण पैटै ओ निरवाळो काम कर रे’या हो !<br />बधायजै !ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.com